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रियल एस्टेट सेक्टर में आया बड़ा बदलाव, इन कंपनियों ने कम कर दिया अपना काम
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एक साथ काम करने को-वर्किंग स्पेस के लिए लीज पर दिए जाने वाले एरिया में कमी आई है. इसको लेकर हाल ही में CBRI ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें यह खुलासा हुआ कि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में लीज पर दिए जाने वाले क्षेत्र में कमी आई है.
एक साथ एक छत के नीचे काम करने वाली कंपनियों को दिए जाने वाली लीज डील में कमी है. को-वर्किंग स्पेस देने वाली कंपनियों की ओर से दिए जाने वाली लीज एरिया में सालाना आधार पर 43 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. हाल ही में रियल एस्टेट सलाहकार फर्म CBRI ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें यह खुलासा हुआ कि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में देश के नौ प्रमुख शहरों में को-वर्किंग स्पेस के लिए लीज पर दिए जाने वाली प्रॉपर्टी के एरिया में कमी आई है. इस सेक्टर में काम करने वाली फर्मों को इससे काफी नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2025 तिमाही में देश के नौ प्रमुख मार्केट में 21.6 लाख वर्ग फुट वर्किंग स्पेस को लीज पर दिया गया. जो कि पिछले साल की तुलना में काफी कम है. मार्च 2024 में इन शहरों में को-वर्किंग स्पेस के लिए फर्मों ने कॉर्पोरेट कंपनियों को 37.6 लाख वर्ग फुट क्षेत्र को किराये पर दिया था.
को-वर्किंग स्पेस में आई कमी
आंकड़ों के मुताबिक, कुल वर्किंग स्पेस में से को-वर्किंग स्पेस प्रोवाइड कराने की हिस्सेदारी घटकर इस मार्च तिमाही में 12 प्रतिशत रह गई जो पिछले साल की समान अवधि में 22 प्रतिशत थी. कोविड महामारी के बाद कार्यस्थलों की मांग बढ़ने के बावजूद यह गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, जनवरी-मार्च 2025 में नौ शहरों में कार्यालय स्थान का कुल सकल लीज पांच प्रतिशत बढ़कर 180 लाख वर्ग फुट हो गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 171 लाख वर्ग फुट था.
सीबीआरई इंडिया के प्रबंध निदेशक राम चंदनानी ने कहा कि भारत वैश्विक क्षमता केंद्रों के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है और 2025 में टोटल वर्किंग स्पेस मांग में जीसीसी का योगदान लगभग 35-40 प्रतिशत होने की उम्मीद है. चंदनानी ने कहा कि प्रौद्योगिकी और बैंकिंग एवं वित्त सेवा क्षेत्र इस मांग को आगे भी बढ़ाने का काम करेंगे.
क्या होता है को-वर्किंग कल्चर
को-वर्किंग कल्चर से मतलब ऐसी जगहों से हैं, जहां पर एक फ्लोर पर एक बिल्डिंग में एक से ज्यादा कंपनियां एक साथ काम करती हैं. को-वर्किंग स्पेस कॉर्पोरेट कंपनियों को कुछ फर्मों के द्वारा प्रोवाइड कराया जाता है. इसमें फर्म पहले बिल्डिंग मालिकों से जगह लीज पर लेते हैं. फिर उसको अलग-अलग कॉर्पोरेट कंपनियों को उनकी जरूरत के हिसाब से लीज पर दे देते हैं.