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Satyakatha : प्रेम विवाह करने पर तुली नाबालिग बेटी की हत्या का चर्चित मामला
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नर्मदा के बैक वाटर में मिली बोरा बंद किशोरी की लाश की शिनाख्त के बिना कातिलों तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं था। इसलिए इलाके के एक-एक गांव की स्कैनिंग के दौरान जब एक किशोरी के लापता होने की बात सामने आई तो पूरा मामला खुलकर सामने आ गया। लड़ाई जाति-धर्म की नहीं बल्कि अमीरी-गरीबी की थी। इसलिए बेटी का हाथ समाज के एक गरीब परिवार के युवक के हाथ में सौंपने के बजाए झूठी शान के मारे पिता ने उसे डोली के बजाए बोरे में बंद कर विदा कर दिया।
शव की पहचान से खुली हत्या की परतें
30 मार्च को हरसूद थाना क्षेत्र के चारखेड़ा ब्रिज के पास एक संदिग्ध बोरा नदी में तैरता मिला। जब उसे बाहर निकाला गया तो उसके भीतर 16 वर्षीय किशोरी का शव मिला, जो कई दिन पुराना प्रतीत हो रहा था। शव की पहचान नहीं होने के कारण पुलिस ने आसपास के गांवों की स्कैनिंग शुरू की। जांच के दौरान छीपाबड़ गांव की 16 वर्षीय किशोरी सेजल (बदला नाम) के लापता होने की सूचना मिली। परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई थी।
पिता का कबूलनामा: “इज्जत बचाने के लिए किया हत्या”
पूछताछ के दौरान किशोरी के पिता लोकेश मीणा ने स्वीकार किया कि उसने ही अपनी बेटी की हत्या की है। लोकेश, जो कि नगर परिषद में पंप ऑपरेटर है, को बेटी के एक युवक से प्रेम संबंध स्वीकार नहीं थे। हालांकि युवक उसी समाज से था, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होने के कारण पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था।
पुलिस के अनुसार, जब पिता को यह ज्ञात हुआ कि बेटी प्रेमी से बात करने के लिए छुपकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही है, तो उसने उसे खेत पर ले जाकर गला दबाकर मार डाला। इसके बाद शव को बोरे में भरकर अपने पिता (किशोरी के दादा) के साथ मिलकर नदी में फेंक दिया।
मामले की तह तक पहुंची पुलिस
पुलिस ने खेतों में चल रही गेहूं की कटाई से मिले सुरागों से यह अंदाजा लगाया कि मृतका किसी किसान परिवार से हो सकती है। वहीं, छीपाबड़ गांव के कुछ लोगों से मिले इनपुट और लड़की के प्रेमी द्वारा जताए गए संदेह ने पुलिस को सही दिशा में पहुंचाया। गहन पूछताछ में लोकेश टूट गया और उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।
“इज्जत” के नाम पर हत्या – एक चिंताजनक प्रवृत्ति
पुलिस के मुताबिक, सेजल अपने ही समाज के युवक से प्रेम करती थी और उसी से विवाह करना चाहती थी। लेकिन पिता ने इसे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए बेटी को “डोली” की बजाय “बोरे” में विदा कर दिया।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि समाज में “इज्जत” की गलत परिभाषा कितनी भयावह हो सकती है। एक मासूम की जान सिर्फ इसलिए ले ली गई क्योंकि उसने अपनी पसंद से जीवन साथी चुनने की हिम्मत की।
प्रेमी की सजगता से हुआ पर्दाफाश
सेजल के प्रेमी को शक हो गया था कि कुछ अनहोनी हो चुकी है, क्योंकि वह बिना संपर्क किए नहीं रह सकती थी। प्रेमी ने गांव में उसकी गुमशुदगी की चर्चा शुरू की, जिससे पुलिस के मुखबिर सक्रिय हुए और पूरी साजिश का पर्दाफाश हुआ।
पुलिस की सराहनीय तत्परता
हरदा एसपी मनोज कुमार के निर्देशन में गठित विशेष टीम और हरसूद थाना प्रभारी की तत्परता से इस हत्या की गुत्थी कुछ ही दिनों में सुलझा ली गई। आरोपी पिता और दादा को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया के तहत जेल भेजा गया है।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम के अधिकार पर हमला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आज भी कई परिवारों में सामाजिक प्रतिष्ठा के नाम पर बेटियों की जान ले ली जाती है। ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है, ताकि “इज्जत के नाम पर हत्या” जैसी घटनाएं भविष्य में रोकी जा सकें।