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CBI का एक्शन मोड: CGPSC भर्ती घोटाले में रायपुर और महासमुंद में एक साथ छापे
Raipur, CG

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ पांच स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई अहम दस्तावेज और तकनीकी साक्ष्य जब्त किए गए हैं, जो घोटाले की परतें खोलने में मददगार साबित हो सकते हैं।
CBI की अलग-अलग टीमें रायपुर के फूल चौक स्थित एक निजी होटल, सिविल लाइन इलाके के एक कोचिंग संस्थान, महासमुंद जिले में एक सरकारी डॉक्टर के निवास, अभ्यारण्य गेस्ट हाउस और एक अन्य स्थान पर सुबह-सुबह पहुंचीं। सभी जगहों पर सघन तलाशी अभियान चलाया गया।
CGPSC भर्ती में धांधली को लेकर बढ़ी जांच
यह कार्रवाई CGPSC परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंकाओं के आधार पर की गई है। सूत्रों के अनुसार, छापों के दौरान जो दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं, उनकी गहन तकनीकी जांच की जा रही है। CBI पहले से ही इस घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए विस्तृत जांच कर रही है, जिसमें पहले ही कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
अब तक इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी:
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टामन सिंह सोनवानी – पूर्व CGPSC चेयरमैन
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साहिल सोनवानी – टामन सिंह के भतीजे
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शशांक गोयल – बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण गोयल के पुत्र
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भूमिका कटियार
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नितेश सोनवानी – टामन सिंह के दूसरे भतीजे
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ललित गनवीर – पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर
क्या है CGPSC घोटाले का पूरा मामला?
2019 से 2022 के बीच CGPSC द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में बड़े स्तर पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। खासतौर पर 2020 और 2021 की भर्ती प्रक्रियाएं संदेह के घेरे में हैं।
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2020 में आयोग ने 175 पदों, और
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2021 में 171 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी।
13 फरवरी 2022 को प्रीलिम्स परीक्षा में 2,565 उम्मीदवार सफल हुए। इसके बाद मई 2022 में चार दिन चली मुख्य परीक्षा में 509 परीक्षार्थी सफल घोषित किए गए। अंततः 11 मई 2023 को चयनित 170 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई।
आरोप है कि तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी ने आयोग की भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित कर अपने रिश्तेदारों, कांग्रेस से जुड़े नेताओं और कुछ वरिष्ठ अफसरों के बच्चों को लाभ पहुंचाया।
राजनीतिक और प्रशासनिक साठगांठ का गहरा जाल?
EOW और अर्जुंदा पुलिस पहले ही इस मामले में FIR दर्ज कर चुकी हैं। अब CBI की सक्रियता से उम्मीद जताई जा रही है कि इस घोटाले में छुपे कई और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। माना जा रहा है कि यह सिर्फ परीक्षा प्रणाली में धांधली नहीं, बल्कि सत्ता और नौकरशाही के गठजोड़ का भी एक बड़ा उदाहरण है।