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5000 रुपए में चपरासी से कराई गई यूनिवर्सिटी की कॉपी जांच" — दो प्रोफेसर सस्पेंड, तीन कर्मचारियों की सेवा समाप्त
Narmadapuram, MP

शिक्षा जगत से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नर्मदापुरम जिले के शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिपरिया में विश्वविद्यालय परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन एक चपरासी से करवाया गया।
शिक्षा जगत से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नर्मदापुरम जिले के शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिपरिया में विश्वविद्यालय परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन एक चपरासी से करवाया गया। जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई की। इस मामले में कुल पांच लोगों पर गाज गिरी है, जिनमें से दो प्रोफेसरों को सस्पेंड किया गया है और तीन कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
वीडियो वायरल होने के बाद शुरू हुई जांच में खुलासा हुआ कि खुशबू पगारे (अतिथि विद्वान, हिंदी) द्वारा मूल्यांकन के लिए आवंटित उत्तर पुस्तिकाएं पन्नालाल पठारिया नामक प्रयोगशाला परिचारक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) से जांचवाई गईं। ये कॉपियां उन्हें राकेश कुमार मेहर (बुक लिफ्टर) के माध्यम से मिली थीं। पन्नालाल ने इन उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने के बदले 5000 रुपए लिए थे।
खुशबू पगारे ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देते हुए यह स्वीकार किया कि उन्होंने यह कार्य पन्नालाल से करवाया और इसके लिए राकेश को 7 हजार रुपए नकद दिए थे, जिसमें से 5000 पन्नालाल को दिए गए।
राकेश कुमार मेहर ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने अतिथि विद्वान से पैसे लिए और पन्नालाल को दिए।
इन पर हुई कार्रवाई:
सस्पेंड किए गए:
- डॉ. राकेश कुमार वर्मा – प्रभारी प्राचार्य व मूल्यांकन नोडल अधिकारी (वाणिज्य विभाग)
- डॉ. रामगुलाम पटेल – प्राध्यापक, राजनीति शास्त्र
उपरोक्त दोनों प्रोफेसरों को जांच रिपोर्ट में मूल्यांकन कार्य में गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था के लिए दोषी ठहराया गया। शासन ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनके मुख्यालय को "क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, भोपाल-नर्मदापुरम संभाग" निर्धारित किया है।
सेवा से हटाए गए:
- खुशबू पगारे – अतिथि विद्वान, हिंदी
- पन्नालाल पठारिया – प्रयोगशाला परिचारक (जनभागीदारी कर्मचारी)
- राकेश कुमार मेहर – बुक लिफ्टर (स्थायी कर्मचारी, जनभागीदारी समिति)
इन तीनों कर्मचारियों की भूमिका को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी किए गए हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली और मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉपियों की जांच जैसे गंभीर कार्य में इस तरह की लापरवाही न केवल परीक्षा की पारदर्शिता को प्रभावित करती है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करती है।
सरकार का कड़ा संदेश
शासन ने इस पूरे प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है और स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा प्रणाली में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं, इसके लिए निगरानी और पारदर्शिता को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।