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त्रिनेत्र और त्रिपुंड से सजा भगवान महाकाल का राजसी श्रृंगार, भस्म आरती में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
Ujjain, MP

वैशाख मास की षष्ठी तिथि, शनिवार के शुभ अवसर पर भगवान महाकाल का राजा स्वरूप में अलौकिक श्रृंगार किया गया, जिसने श्रद्धालुओं के हृदय को आस्था और भक्ति से भर दिया।
🔔 सुबह 4 बजे खुले कपाट, आरंभ हुआ पूजन
शनिवार सुबह 4:00 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। पूजन की शुरुआत भगवान महाकाल के जलाभिषेक से हुई, जिसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से उनका अभिषेक किया गया। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया मंत्रोच्चार के बीच पूर्ण श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न हुई।
👑 राजसी श्रृंगार में त्रिनेत्र और त्रिपुंड से सजे महाकाल
आज भगवान महाकालेश्वर को त्रिनेत्र और त्रिपुंड तिलक अर्पित किया गया। उनके मस्तक पर भस्म का लेप किया गया और उन्हें शेषनाग के आकार का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाला, रुद्राक्ष की माला, तथा सुगंधित पुष्पों की माला पहनाई गई।
भांग, चंदन और विभिन्न आभूषणों से श्रृंगार कर भगवान को फल और मिष्ठान्न का भोग अर्पित किया गया। बाबा का यह राजसी स्वरूप दर्शकों को मोहक अनुभूति दे रहा था।
🌄 भस्म आरती में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
भोर की भस्म आरती में भाग लेने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे। जैसे ही आरती शुरू हुई, मंदिर परिसर "जय महाकाल!" के जयघोष से गूंज उठा। श्रद्धालु नंदी महाराज के समीप जाकर कानों में मनोकामनाएं कह रहे थे, यह विश्वास लिए कि बाबा हर मुराद पूरी करेंगे।
✨ मंदिर परिसर में छाई रही दिव्यता
पूरे मंदिर परिसर में भक्ति, अनुशासन और शांति का समन्वय देखने को मिला। हर श्रद्धालु भगवान के दरबार में ध्यानमग्न, विनीत भाव से नतमस्तक और श्रद्धा से सराबोर दिखाई दिया।
🙏 नित्य दर्शन का अद्भुत अनुभव
भगवान महाकाल का यह दिव्य श्रृंगार और आरती न केवल आस्था का केंद्र बनी बल्कि आत्मिक शांति का भी अनुभव करवा गई। वैशाख माह के इस पावन अवसर पर बाबा महाकाल के दर्शन ने श्रद्धालुओं के जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।