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पहाड़ों पर बुलंदी की मिसाल बना ‘अंजी खड्ड ब्रिज’ – भारतीय इंजीनियरिंग का बेमिसाल चमत्कार
JAGRAN DESK

जब घाटियों की गहराई और पहाड़ों की ऊंचाई रास्ता रोकती है, तब इंसान का हौसला पुल बनकर आगे बढ़ता है। जम्मू-कश्मीर की धरती पर ऐसा ही एक अद्भुत पुल बनकर तैयार हुआ है—भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज ‘अंजी खड्ड’, जो न सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि विकास की नई रफ्तार का प्रतीक भी है।
🚉 कटरा से रियासी तक, विकास की नई डगर
अंजी खड्ड ब्रिज का निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट के तहत कटरा-बनिहाल रेलखंड पर किया गया है। यह ब्रिज अंजी नदी की गहरी खाई पर बना है और जम्मू-कश्मीर के दुर्गम इलाकों को शेष भारत से जोड़ने का काम करेगा। इस ब्रिज से घाटी में शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में नए दरवाज़े खुलेंगे।
🔧 एक नज़र तकनीकी विशेषताओं पर
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कुल लंबाई: 725 मीटर
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नदी तल से ऊंचाई: 331 मीटर
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सेंट्रल पायलन की ऊंचाई: 193 मीटर
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कुल केबल्स की संख्या: 96
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केबल्स का कुल वजन: 849 मीट्रिक टन
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केबल की कुल लंबाई: 653 किलोमीटर
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स्टील की खपत: 8,215 मीट्रिक टन
महज़ 11 महीनों में इस ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा किया गया है, जो अपने आप में एक उपलब्धि है। यह पुल चिनाब ब्रिज के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज बन चुका है।
💼 रोज़गार, पर्यटन और तरक्की का नया सेतु
यह ब्रिज सिर्फ लोहे और स्टील का ढांचा नहीं है, बल्कि यह रोज़गार, अवसर और आशाओं की डोर भी है। दूर-दराज के गांवों को अब बड़ी सुविधाएं मिलेंगी, व्यापारियों को घाटी तक सीधा रास्ता मिलेगा और सैलानियों को नए ट्रैक और नज़ारे देखने को मिलेंगे।
अंजी खड्ड ब्रिज, भारतीय इंजीनियरिंग की वो ऊंचाई है जहां हिम्मत, हुनर और हर हालात में आगे बढ़ने का जज़्बा झलकता है। ये पुल अब सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के सुनहरे भविष्य की ओर एक मजबूती से बढ़ता कदम है।