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हरिद्वार में 'आपदा प्रबंधन और डिजास्टर मेडिसिन' पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला शुरू, पतंजलि बनेगा वैश्विक समाधान का केंद्र
JAGRAN DESK

पतंजलि विश्वविद्यालय में 'जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और डिजास्टर मेडिसिन' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का भव्य उद्घाटन हुआ। कार्यशाला में स्पेन, इटली, नॉर्वे और नेपाल सहित चार देशों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय में डिजास्टर मेडिसिन, मैनेजमेंट एंड क्लाइमेट चेंज के लिए एक अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (Center of Excellence) और पेटेंट सेल की भी स्थापना की गई।
🗣️ स्वामी रामदेव का संदेश: भारत को डिजास्टर मेडिसिन में बनाना है वैश्विक नेता
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा,
“पतंजलि ने न केवल योग को विश्व मंच पर पहुंचाया, बल्कि हर आपदा और संकट में मानवता की सेवा भी की। चाहे केदारनाथ हो या बिहार की बाढ़—we were always the first to respond. अब डिजास्टर मेडिसिन में भारत को वैश्विक नेतृत्व दिलाना हमारा लक्ष्य है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और वैदिक दृष्टिकोण आपदा प्रबंधन का सबसे सशक्त मार्गदर्शन दे सकते हैं।
🧬 आचार्य बालकृष्ण बोले: पतंजलि का उत्कृष्टता केंद्र होगा ग्लोबल समाधान का आधार
पंतजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने इस पहल को “आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम” बताया।
उन्होंने कहा,
“हमारा उद्देश्य केवल वैज्ञानिक समाधान खोजना नहीं, बल्कि भारतीय सनातन परंपरा को भी आपदा प्रबंधन में लागू करना है। यह केंद्र शोध, प्रशिक्षण और सहयोग के माध्यम से वैश्विक रणनीतियाँ विकसित करेगा।”
💬 विशेषज्ञों की राय: भारत का दृष्टिकोण आपदा समाधान की नई दिशा
कार्यशाला में उपस्थित वर्ल्ड बैंक प्रतिनिधि डॉ. आशुतोष मोहंती ने पतंजलि विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए घोषणा की कि वर्ल्ड बैंक विश्वविद्यालय के छात्रों को डिजास्टर मेडिसिन और मैनेजमेंट में स्कॉलरशिप, रिसर्च व स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम की सुविधा देगा।
उत्तराखंड यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत ने कहा,
“भारतीय संस्कृति में आपदा प्रबंधन का प्राकृतिक इकोसिस्टम समाहित है। योग और आयुर्वेद, पोस्ट डिजास्टर ट्रॉमा से निपटने के लिए अहम हथियार बन सकते हैं।”
🧭 समुदाय आधारित प्रबंधन पर ज़ोर
कार्यशाला में उपस्थित अन्य विशेषज्ञों ने स्थानीय समुदाय की भागीदारी और प्रशिक्षित युवाओं को आपदा प्रबंधन से जोड़ने पर बल दिया।
आईटीबीपी के अधिकारी दीपक कुमार पांडे ने कहा,
“स्थानीय संसाधनों का सही प्रयोग और त्वरित प्रतिक्रिया ही किसी भी आपदा की तीव्रता को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।”
📌 कार्यशाला के आयोजक और अन्य गणमान्य
कार्यशाला के मुख्य संयोजक प्रो. सत्येन्द्र मित्तल ने बताया कि यह आयोजन डीआरए इंफ्राकोन, टेक फैब, मैकाफेरी और यूकॉस्ट जैसे संस्थानों के सहयोग से संभव हुआ।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारी—प्रो. मयंक अग्रवाल, डॉ. ऋत्विक बिसारिया, डॉ. निवेदिता शर्मा, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. सूर्य प्रकाश, डॉ. राधिका नागरथ सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।