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उत्तराखंड का नक्षत्र सभा: ग्रामीण भारत को पुनर्जीवित कर रहा है तारा-दर्शन क्रांति
JAGRAN DESK

पर्यटन में क्रांति और उजड़ते गांवों को नई रोशनी दे रहा है उत्तराखंड का नक्षत्र सभा।
उत्तराखंड के दिल में कहीं, सितारों से भरे मखमली आसमान के नीचे, लोग न तो किसी संगीत कार्यक्रम में जुटे थे और न ही किसी मेले में—वे बस ऊपर देख रहे थे। लेकिन इस छोटे से कार्य ने उन्हें एक बड़ी क्रांति का हिस्सा बना दिया: नक्षत्र सभा, भारत में अपनी तरह की पहली तारा-पर्यटन पहल, जो अब पर्यटन के नए युग की राह दिखा रही है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और Starscapes के साझे प्रयास से शुरू हुए इस अभियान ने देश के स्वच्छ रात्रि आकाश को पर्यटन के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया। बीते एक साल में यह आकाशीय अभियान नॉर्वे, फ्रांस, अमेरिका, मिडिल ईस्ट से लेकर भारत भर के खगोल-प्रेमियों को उत्तराखंड खींच लाया — इनमें पर्यटक, स्कूली बच्चे, वैज्ञानिक, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और स्थानीय लोग तक शामिल थे, जिन्होंने पहली बार शनि के छल्ले और चंद्रमा के गड्ढे अपनी आंखों से देखे।
नई तरह की जुटान
मसूरी, जागेश्वर, ताकुला (नैनीताल), कार्तिक स्वामी मंदिर (रुद्रप्रयाग), बेनीताल (चमोली), कार्बेट और पिथौरागढ़ जैसे सात स्थानों में नक्षत्र सभा का आयोजन हुआ। हर जगह पर तारा-दर्शन, पौराणिक कथाएं, विज्ञान, और स्थानीय संस्कृति को एक साथ जोड़ने की कोशिश की गई।
यह सिर्फ देखने के कार्यक्रम नहीं थे, बल्कि अनुभवों से भरपूर शामें थीं—दूरबीन से तारा दर्शन, खगोलीय फोटोग्राफी कार्यशालाएं, सूर्य निरीक्षण, अंधेरी रातों की रक्षा पर चर्चाएं और स्थानीय लोक-कथाओं के जरिये अंतरिक्ष की जानकारी साझा की गई।
“मैंने बृहस्पति के चंद्रमाओं को अपनी आंखों से देखा — कभी सोचा नहीं था ऐसा हमारे गांव में भी हो सकता है,” — रोहित आर्य, मसूरी में नक्षत्र सभा के प्रतिभागी।
“ये शुद्ध, शिक्षाप्रद और परिवर्तनकारी है,” — शिवानी अहलावत, दिल्ली से आई शौकिया खगोलशास्त्री।
“यह विज्ञान, संस्कृति और पारिस्थितिकी पर्यटन का अद्भुत संयोजन है,” — डॉ. दोरजे अंगचुक, इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के इंजीनियर।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और शिक्षा को बढ़ावा
Starscapes ने स्कूल समूहों के लिए वर्कशॉप आयोजित किए, जिसमें बच्चों और शिक्षकों को खगोलशास्त्र और दूरबीन चलाने की शिक्षा दी गई। इन आयोजनों में स्थानीय होमस्टे, हस्तशिल्पकार और गाइड्स को भी शामिल किया गया, जिससे रोज़गार और स्थानीय जागरूकता को बढ़ावा मिला।
इस पहल ने गूगल पर “stargazing in India” और “dark sky tourism” जैसे शब्दों की खोज को 70% तक बढ़ा दिया, और उत्तराखंड को शीर्ष खोज परिणामों में शामिल कर दिया गया।
अब उजड़ते गांवों की बारी
अब अगला कदम और भी बड़ा है — नक्षत्र सभा अब उत्तराखंड के "भूतिया गांवों" की ओर बढ़ रहा है। ये वे गांव हैं जो पलायन, आजीविका की कमी और संपर्क टूटने की वजह से वीरान हो चुके हैं। लेकिन इन गांवों की एक अनोखी विशेषता है — स्वच्छ, बिना रोशनी प्रदूषण वाले आसमान।
इन गांवों को अब Dark Sky Villages घोषित किया जाएगा। यहां बुनियादी ढांचे को न्यूनतम रखते हुए, छोटे वेधशालाएं, स्थानीय युवाओं को खगोलीय गाइड के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना है। इस तरह, उजड़ते गांव पर्यटन के नए सितारे बन सकेंगे।
“यह सिर्फ सितारों को देखने की बात नहीं है — यह उनके इर्द-गिर्द भविष्य गढ़ने की बात है,” — रामाशिष राय, Starscapes के संस्थापक।
सितारों से सीख
नक्षत्र सभा इस बात की याद दिलाता है कि विकास की दौड़ में हम ऊपर देखना भूल जाते हैं। लेकिन इस अभियान ने लोगों को फिर से उस ब्रह्मांडीय जुड़ाव से जोड़ा है।
Dark Sky Conservation Report में हिस्सा लेने वालों की संख्या और आकाश संरक्षण के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। IDA (International Dark Sky Association) जैसे वैश्विक संस्थानों के साथ साझेदारी करते हुए, उत्तराखंड अब भारत की डार्क स्काई कैपिटल बनने की दिशा में अग्रसर है।
“अब समय है कि भारत अनुभवात्मक और उद्देश्य आधारित पर्यटन का नेतृत्व करे। नक्षत्र सभा सिर्फ एक अभियान नहीं — एक आंदोलन है,” — श्री सचिन कर्वे, सचिव, पर्यटन विभाग।